भारत में मलिन बस्तियों के बसावट के कारणों की चर्चा करें। सरकार द्वारा मलिन बस्तियों के विकास के लिए किया किया किए जारहे हैं ।
what-would-have-caused-corona-virus
ssc-vvi-questions-answer
एशिया का सबसे बड़ी मलिन बस्तियां
मलिन बस्तियां किया है ?
मलिन बस्तीयां शहरी क्षेत्र में पाई जाने वाली वैसी बस्ती होती है जो शहरों में रेलवे लाइन के सामने, जल निकायों के पास , उद्योगों, हवाई अड्डे के पास बसाई जाती है ।
जहां किसी प्रकार की सुविधा नहीं होती है । झुग्गी झोपड़ी में लोग रहते है। मकान कच्चे निर्माण के होते हैं।
ना शिक्षा की व्यवस्था होती है । ना पानी की व्यवस्था होती है।
झुग्गी झोपड़ी में अक्सर अपराध भी ज़्यादा होता है। लोग अशिक्षित होते हैं। गंदगी ज़्यादा पाई जाती हैं। गरीबी भी बहुत ज़्यादा होती है।
जुग्गी झोपड़ी में वो लोग रहते है जो मजदूर होते है । और ज़्यादा तर लोग गांव से पलायन करके शहर में रोज़गार की तलाश में आते हैं।
शहर में आकर उनके पास ना रहने की जगह होती है ना खाने का सामान । और ऐसी जगह में बस जाते हैं। रोज़गार की कमी के कारण बहुत ज़्यादा लोग शहर में पलायन कर जाते हैं।
कोई भी छोटी सी बस्ती जिसमें कम से कम बीस कच्चे मकान हों और एक मकान दूसरे मकान से सटे होते है इन्हे सर्वेक्षण के नज़र से मलिन बस्ती माना जाता है।
इसे भी पढ़े ---
डिकिंसन महोदय के अनुसार मलिन बस्ती की परिभाषा
" मलिन बस्ती नगर के उस भाग को कहते हैं जहां पर मकान रहने योग्य ना हों और जहां का वातावरण नागरिकों के स्वस्थ एवं उनके नैतिकता के लिए हानिकारक हो "
मसानी के विचार
" विश्व की रचना इश्चर ने की है नगरों की रचना मानव ने की है तथा मलिन बस्तियों की रचना शैतानों ने की है।"
और भी बहुत सारे विद्वान ने कहा
" शहरों में पाई जाने वाली मलिन बस्ती शहर के लिए शहर के कैंसर की तरह और शहर के पत्थर का रेगिस्तान की तरह है "
मलिन बस्तियों की समस्याएं ------
नेल्स एंडरसन महोदय ने मलिन बस्ती की निम्नलिखित समस्याएं बताई हैं
1. मलिन बस्ती के भवनो , गलियों की बनावट अति प्राचीन पद्धति की होती है। जो डिक्लाइन दिशा में दिखाई देती है।
2. यहां की आर्थिक स्थिति बहुत दयनीय होती है।
3. यह क्षेत्र भीर भार वाला होता है कम जगह में ज़्यादा घर होते हैं।
4. यहां पर अलग अलग क्षेत्रों से आए लोग रहते देश के कोने कोने से पलायन करके आए लोग बसे होते हैं।
5. मलिन बस्तियों में लोग साफ सफाई और स्वस्थ से बंचित होते है।
6. सार्वजनिक सेवा से बांचित होती है मलिन बस्तियां ।
7. नैतिकता का अभाव पाया जाता हैं।
8. मलिन बस्तियों में बाल अपराध होता है। शिक्षा की कमी और गरीबी के कारण बाल अपराध होता है।
9. ज़्यादा तर लोग अस्थाई तौर पर रहते है।
सरकार इन्हे घर दे भी देती है तोह इनकी आर्थिक स्थिति इतनी खराब होती है के ये लोग बेच देते है घर को।
10. शिक्षा की कोई व्यवस्था नहीं होती हैं।
11. मलिन बस्तियों में रहने वाले लोग अमूमन टायफाइड और हैजा जैसे जल जनित बीमारियों से ग्रसित होते हैं। कैंसर और एड्स जैसे घातक रोगों से भी पीड़ित होते हैं।
12. भिक और बाल तस्करी जैसी सामाजिक बुराइयों का खतरा अक्सर बना रहता है। मलिन बस्तियों पर
इसे भी पढ़े ------
मलिन बस्तियों के निर्माण में सहायक तत्व --------
1. रोज़गार की कमी के कारण लोग मलिन बस्तियों में रहने पर मजबुर होते हैं।
2. रोज़गार की तलाश में लोग गांव से शहर की तरफ पलायन कर जाते है और मलिन बस्तियों में रहने पर मजबुर होते हैं।
3. इस लोगों के पास शिक्षा की कमी होती है।
4. उधोगिकिकरण और नागरी करण के कारण मलिन बस्तियां ज़्यादा शहरों में बसने लगी।
5. जनसंख्या के वृद्धि के कारण भी मलिन बस्तियां बस रही है।
6. ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोज़गारी के कारण
7.गरीबी के कारण
8. प्राकृतिक प्रकोप के कारण लोग अपने मूल आवास से शहरों के तरफ पलायन करजाते हैं।
9.आवास का विकल्प ना होना मलिन बस्तियों के बसावट की एक बड़ी वजह है।
10. मलिन बस्तियों के विकास के लिए सरकार भी तत्पर नहीं दिखती है।
11. गरीबी और एक अच्छी नौकरी की कमी का कारण मलिन बस्तियों के बसावट के मुख्य कारण है।
मलिन बस्तियों की संख्या भारत में -------
एशिया की सबसे बड़ी मलिन बस्तियां भारत के मुंबई में पाई जाती है। मुंबई की धराबी झुग्गी करीब 240 हेक्टयर में फैली है ।जिसमें लगभग 850 लाख लोग रहते हैं । और यहां की आबादी लगभग 66 हजार प्रति वर्ग किलो मीटर है।
भारत का 17.4% शहरी आबादी का झुग्गी झोपड़ी में निवास है।
2012 में NSSO के एक सर्वे के मुताबिक भारत के शहरी क्षेत्रों में कुल 33510 झुग्गी झोपड़ीयां मौजूद है।
इनमे से लगभग 41 % अधिसूचित थे और 59% गैर अधिसूचित थे।
सर्वे के मुताबिक महाराष्ट्र में शहरी भारत की 23% आंध्रप्रदेश में 13.5% और पश्चिम बंगाल में लगभग 12% लोग मलिन बस्तियों में रहते है।
सर्वे के मुताबिक 8.8 मिलियन परिवार शहरी झुग्गी झोपड़ियों में गुज़र बसर करता है।
इनमे लगभग 5.6 मिलियन परिवार अधिसूचित और 3.2 मिलियन परिवार गैर अधिसूचित मलिन बस्तियों में रहते हैं।
अखिल भारतीय स्तर पर एक मलिन बस्तियों में औसतन 263 घर होते हैं।
एक मलिन बस्तियों में सबसे ज़्यादा 433 घर कर्नाटक में 392 घर और आंध्र प्रदेश में 352 घरों की संख्या बताई गई है।
UN के एक नवीनतम रिपोर्ट से 2050 तक भारत की आधी आबादी महानगरों में रहने लगेगी ।
इसे भी पढ़ें ----
सरकार के प्रयास मलिन बस्तियों के लिए -------
. मलिन बस्तियों में रहने वाले लोगों के लिए आवास मुहैया करने के लिए सरकार हमेशा प्रयासरत रही है।
1. 1956 ने slums areas ( improvement and clearance ) act बनाया गया इसका मकसद मलिन बस्तियों का पूर्ण उन्मूलन करना था।
इसके तहत अधिकारियों को सुधार की संभावना तलाशने और मलिन बस्तियों को हटाने का अधिकार है।
2. 1996 में राष्ट्रीय मलिन विकास कार्यक्रम यानी ( NSDP) की शुरुआत हुई थी
इस योजना के अन्तर्गत राज्यों को ऋण और सब्सिडी मोहाइया कराई जाती है।
इसके ज़रिए राज्यों से अपेक्षा की जाती है वे शहरी झुग्गी अवादी की आधार पर झुग्गी पुर्णवस परियोजना लाएंगे ।
3. 2015 में प्रधानमंत्री शहरी आवास योजना की शुरुआत हुई । इस योजना के तहत सभी लाभार्थियों को 2022 तक मकान उपलब्ध करना है।
4. स्लम पुर्णवास योजना के तहत झुग्गी निवासियों को 2022 तक आवास मुहैया कराने के साथ साथ आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को रेयाती पर ऋण उपलब्ध कराने की भी योजना है ।
5. स्मार्ट सिटी मिशन और AMRUT जैसी परियोजना भी शहर में आवास मुहैया कराने और बुनियादी ढांचे से संबंधित है।
इन सब कामों के बावजूद शहरों का उन्मूलन सम्भव नहीं होसका है।
आगे किया करना चाहिए -------
समाधान आगे के लिए -----
मलिन बस्तियों के निर्माण के पीछे गरीबी सबसे बड़ा कारण है।
सबसे पहले गरीबी की समस्याओं को दूर करने का उपाय ढूंढ़ना चाहिए।
सरकार का लक्ष्य केवल झुग्गी वासियों के घर बनाने पर ना हो बल्कि लोगों के लिए आजीविका विकल्प और सामाजिक आर्थिक बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देने पर केन्द्रित होना चाहिए।
ऐसी भौगोलिक पहुंच बनाने की जरूरत है कि एक गरीब व्यक्ति आसानी से नौकरी तलाश कर सके ।
शिक्षा की कमी के कारण इन्हें अच्छे आय वाली नौकरी नहीं मिल पाती है। अच्छे आय वाले नौकरी का उपाय करना चाहिए।
रेंट पर इन्हे मकान दिया जाना चाहिए कम रेंट वाले मकान पर को लोग अस्थाई स्लम है उनके लिए सही साबित होगा और एक सामाजिक दूरी भी बनेगी ।
रेंट पर मकान से एक फायदा ये भी हो सकता है कि ज़मीन की भी कमी का मसला कम होजाएगा।
नोट
कोरोना के कारण महाराष्ट्र की मलिन बस्तियों में बहुत समस्या होगया । मलिन बस्तियों में संघनन आबादी के कारण तेज़ी से corona फैलने लगा । इन मलिन बस्तियों में ना lockdown का पालन हो सका और नहीं सामाजिक दूरी का।
कृपया पोस्ट पसंद अता है तोह कॉमेंट करे और शेयर करे कृपया करके।
0 टिप्पणियाँ
All the information I gave is taken from the best books. Please comment if you have any questions