भारतीय शिक्षा का इतिहास किया है ?



किया आप जानते है के भारतीय शिक्षा का इतिहास किया है । भारत की शिक्षा किस किस कठिन परिस्थिति से गुजरी है ।  शिक्षा के विषय में भारत शुरू से ही आगे था । 



 प्राचीन काल में जब दुनिया में शिक्षा बहुत कम थी तब  भारत में नालंदा , तक्षशिला ,विक्रम शीला जैसे विश्व प्रसिद्ध विश्वविद्यालय थे ।


शिक्षा के बिना मनुष्य का कोई भी अस्तित्व नहीं है । बिना शिक्षा के मनुष्य वैसा है जैसे हरा भरा वृक्ष बिना फल के । शिक्षा के बिना दुनिया को समझना और सही जीवन जीना मुश्किल है।


भारत ने बहुत ही बुरा समय देखा है जिसके कारण शिक्षा प्रणाली बिखर गई । भारत की शिक्षा का इतिहास तीन भागों में बंटा हुआ है ।


  • प्राचीन काल की शिक्षा प्रणाली 



  • मध्य कालीन शिक्षा प्रणाली



  • आधुनिक शिक्षा प्रणाली





भारतीय शिक्षा का इतिहास जानने के लिए हमें तीनों काल की शिक्षा प्रणाली को समझना होगा । तभी भारतीय शिक्षा प्रणाली को सही से आप समझ सकते हैं । 

भारतीय शिक्षा प्रणाली किया है




Bhartiy shiksha ka Itihas Kiya hai ?





प्राचीन काल की शिक्षा प्रणली कैसी थी ?




भारत में शिक्षा प्राचीन काल से ही थी । प्राचीन काल उस समय को कहते है जो ईसा पूर्व के पहले का समय था ।


प्राचीन काल की शिक्षा प्रणाली वैदिक शिक्षा थी। ईसा पूर्व से 600 वर्षों तक के काल को वैदिक काल कहा जाता है। वैदिक शिक्षा गुरुकुल में होती थी । प्राचीन काल में शिक्षा गुरुकुल , आश्रम , और बौद्ध मठों में होती थी ।


600 वर्षों से 12 वी शताब्दी तक के काल को बौद्धिक काल कहा जाता है ।


छात्र गुरुकुल में शिक्षा प्राप्त करने के लिए जाते थे । गुरुकुल आश्रम , बस्ती से दूर हुआ करता था । एक बार गुरुकुल में जाने के बाद शिक्षा प्राप्त करने के बाद ही छात्र घर आते थे ।


गुरु की सेवा करके शिक्षा प्राप्त करते थे । गुरुकुल का खर्च राजा , महाराजा , या जमींदारों द्वारा गुरुकुल को दिया जाता था । गुरु को सम्मान दिया जाता था । गुरु के आज्ञा का पालन किया जाता था ।
प्राचीन काल में शिक्षा ज्ञान के लिए प्राप्त किया जाता था । 12 साल तक छात्र गुरुकुल में शिक्षा प्राप्त करते थे ।







भारतीय शिक्षा प्रणाली किया है ?




वैदिक शिक्षा का उद्देश्य किया था ?




वैदिक शिक्षा का उद्देश्य छात्र का बेहतर चरित्र निर्माण था । शिक्षा तब तक सफल नहीं मानी जाती थी जब तक छात्र में आदर्श चरित्र का निर्माण ना हो जाए ।


छात्र में बुद्धि विवेक बढ़े और जीवन के हर क्षेत्र में सफलता मिले । छात्र जीवन के हर क्षेत्र में सही फैसला कर सके और सच्चाई का साथ दे हर परिस्थिति में ।


तभी वैदिक शिक्षा सफल माना जाता था । उस समय की शिक्षा का उद्देश्य था छात्र के चरित्र को निखारना ।


प्राचीन काल की शिक्षा आध्यात्मिकता पर आधारित थी । वैदिक काल में वेदों की शिक्षा दी जाती थी । इसे मुक्ति और आत्मबोध प्राप्त किया जाता था । यह व्यक्ति के लिए नहीं बल्कि धर्म के लिए शिक्षा थी ।




प्राचीन काल के शिक्षा केन्द्र :-


प्राचीन काल में विश्व प्रसिद्ध शिक्षा केंद्र थे । नालंदा  , तक्षिला , विक्रम शीला, वल्लभी , आदि जैसे विश्वविद्यालय थे  ।

किया आप जानते है विश्व का प्रथम विश्वविद्यालय भारत का था जिसका नाम है तक्षशिला विश्वविद्यालय ।

तक्षशिला विश्वविद्यालय की स्थापना 700 ईसा पूर्व यानी  2700 साल पहले तक्षिला में हुई थी ।

600बीसी और 500 एडी के बीच में तक्षशिला , भारत के विभाजन से पहले गांधार राज्य में था ।

लेकिन विभाजन के बाद पंजाब पाकिस्तान के रावलपिंडी जिले में तक्षशिला विश्वविद्यालय मौजूद है ।

तक्षशिला विश्वविद्यालय में पूरे विश्व के 10500 से अधिक छात्र पढ़ते थे । और 60 से अधिक विषय को पढ़ाया जाता था ।







मध्य कालीन शिक्षा प्रणाली कैसी थी ?






12 वी शताब्दी से 18 वी शताब्दी तक का काल मध्य काल कहलाता है ।

गुरुकुल शिक्षा प्रणाली 1750 तक भारत में थी । मैकाले के आने के बाद गुरुकुल शिक्षा प्रणाली समाप्त हो गई थी ।

मुगलों के आने के बाद मध्य काल में , मदरसों में शिक्षा प्राप्त की जाती थी ।



  • मोगल शासकों ने दिल्ली , अजमेर , आगरा एवम् लखनऊ में मदरसों का निर्माण कराया । 






आधुनिक भारतीय शिक्षा प्रणाली किया है ? 



भारत में आधुनिक व पाश्चात्य  शिक्षा की शुरुआत ब्रिटिश शासन के साथ हुई ।

आधुनिक शिक्षा प्रणाली में दो गुट बन गए थे प्राच्य और पाश्चात्य शिक्षा प्रणाली । आधुनिक शिक्षा नगर से दूर महर्षियों के गुरुकुल और आश्रम में दी जाती थी ।

छात्र 25 वर्ष तक गुरुकुल में रह कर विज्ञान , नीति , युद्धकला , वेद और शास्त्रों का अध्ययन करता था । 

अंग्रेज़ के आने के बाद पाश्चातय शिक्षा प्रणाली ने राष्ट्र के लिए अभिशाप सिद्ध हुआ ।

मैकाले अंग्रेज़ी शिक्षा के पक्ष में थे । वो भारतीय शिक्षा को अच्छा नहीं समझते थे ।

  • 1781 ई 0 में बंगाल( कलकत्ता ) के गवर्नर जनरल वारेन हेस्टिंग्स  ने फारसी एवम् अरबी भाषा के अध्ययन के  लिए  कलकत्ता में मदरसा खोलवाया था ।


  • 1784 ई 0 में वारेन हेस्टिंग्स के सहयोगी सर विलियम जोन्स ने एशियाटिक सोसाइटी ऑफ  बंगाल की स्थापना की । जिसने प्राचीन भारतीय इतिहास एवं संस्कृत की अध्ययन के लिए महत्वपूर्ण प्रयास किया ।


  • 1791 ई0 में ब्रिटिश रेजिडेंट डंकन ने बनारस में एक संस्कृत विद्यालय की स्थापना की ।


  • 1800 में लॉर्ड वेलेजली ने गैर सैनिक अधिकारियों की शिक्षा के लिए " फोर्ट विलियम कॉलेज " की स्थापना कराई । लेकिन कुछ कारणों की वजह से यह 1802 में ही बंद हो गया ।


  • 1813 में सबसे पहले भारतीय शिक्षा के प्रसार प्रचार के लिए चार्टर एक्ट में 1 लाख रुपए की व्यवस्था की गई ।


जिसको भारतीय साहित्य के पुनरुद्धार तथा विकास के लिए और स्थानीय विद्वानों को प्रोत्साहन देने के लिए खर्च करने की व्यवस्था की गई ।

  • पहली बार 1 लाख रुपए भारतीय साहित्य के लिए दिए गए लेकिन धीरे धीरे कुछ कारणों की वजह से अंग्रेजी शिक्षा पर यह रुपया खर्च होने लगा । इसका ज़्यादा प्रतिशत अंग्रेज़ी शिक्षा पर जाने लगा । जिसके कारण विरोध शुरू हो गया और दो गुट बन गए -

प्राच्य  और पाश्चात्य

प्राच्य साहित्य भारतीय साहित्य को कहते है और पाश्चात्य अंग्रेजी साहित्य को ।

जिसपर विरोध होने लगा कुछ लोग कहते थे के पाश्चात्य साहित्य पर खर्च होना चाहिए और कुछ प्राच्य साहित्य का समर्थन करने लगे ।

जिसके कारण लॉर्ड मैकाले भारत आए । 1835 में लॉर्ड मैकाले भारत आए इस समस्या को हल करने के लिए ।


  • 1835 मे मैकाले घोषणा पत्र आया जिसमें उन्होंने कहा के पाश्चात्य साहित्य यानी अंग्रेज़ी साहित्य ही सबसे अच्छा है इस पर अधिक खर्च होना चाहिए ।


  • इसके बाद 1848 में महात्मा ज्योतिबा फूले ने लड़कियों के लिए पहला प्राथमिक विद्यालय खोला ।

  • 1854 में एक भारतीय शिक्षा पर एक व्यापक योजना प्रस्तुत की गई जिसे " वुड का डिस्पैच " कहा जाता है ।





Bhartiy shiksha ki sthiti or Vikas





भारतीय शिक्षा प्रणाली का मैग्ना कार्टा किसे कहते है ?


  • यह प्रस्ताव 100 अनुच्छेद वाला था इसमें शिक्षा के उद्देश्य , माध्यम , सुधारों आदि पर विचार किया गया ।


  • इस उद्देश्य को भारतीय शिक्षा का " मैग्ना कार्टा या महाधिकर पत्र" कहा जाता है ।


  • 1855 ई 0 में  लोक शिक्षा विभाग की स्थापना की गई ।


  • 1857 में बम्बई , मद्रास , कलकत्ता विश्वविद्यालय अस्तित्व में आया ।
  • 1847 से पहले कुल 19 विश्वविद्यालय भारत में थे ।


  • 1870 में बाल गंगा धर तिलक ने फर्गयुसन कॉलेज की स्थापना की ।


  • 1882 में पंजाब विश्व विद्यालय की स्थापना हुई ।


  • 1898 में सेंट्रल हिन्दू कॉलेज की स्थापना हुई ।

  • 1901 में कर्जन ने शिमला में एक सम्मेलन बुलाया । इसमें शिक्षा के सभी क्षेत्रों की बात हुई और 152 प्रस्ताव पास हुए ।

  • 1902 में कर्जन ने सर टोमस रो की अध्यक्षता में विश्वविधालय आयोग की स्थापना की ।


  • 1904 में भारतीय विश्वविधालय अधिनियम पारित हुआ । इस क्षेत्र का कार्य उच्च शिक्षा एवम् विश्वविधालय तक ही सीमित था ।


  • कर्जन ने  स्वामी श्रद्धानंद के साथ गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय हरिद्वार की स्थापना की जो आज भी है हरिद्वार में ।



  • 1905 में कोलकात्ता में नेशनल कॉलेज , बंगाल टेक्निकल इंस्टीट्यूट तथा कोलकात्ता जातीय शिक्षा परिषद की स्थापना की ।


  • 1916 में मदन मोहन मालवीय द्वारा काशी विश्व विद्यालय की स्थापना हुई ।



  • 1917 में कलकत्ता विश्वविद्यालय की समस्याओं को दूर करने के लिए " सैडलर आयोग " की स्थापना हुई ।



  • 1935 में भारत सरकार अधिनियम द्वारा दवैध शासन प्रणाली को समाप्त करदी गई । अब एक ही शासन प्रणाली काम करेगी । इससे पहले दो सरकार काम करती थी एक वी जो वायसराय होते थे और दूसरे जो राजा होते थे ।



  • 1937 में गांधी जी ने वार्धा योजना प्रस्तुत की जो हरिजनों के अंकों पर थी ।


  • 1944 में केंद्रीय शिक्षा सलाहकार मंडल ने सारजेंट

योजना के नाम से एक राष्ट्रीय शिक्षा योजना प्रस्तुत की गई ।


  • सार्जेंट भारत सरकार ने शिक्षा सलाहकार थे ।


  • 1947 में भारत आज़ाद हुआ ।






स्वतंत्रता के बाद शिक्षा भारत में शिक्षा का विकास कैसा हुआ ?





  • 1948 में डॉक्टर सर्वपल्ली राधा कृष्णन  की अध्यक्षता में " विश्वविधालय शिक्षा आयोग " का गठन किया गया ।




  • 1951 में खड़गपुर में पहला IIT बना ।


  • 1952 में डॉ लक्ष्मण स्वामी मुदलियार की अध्यक्षता में माध्यमिक शिक्षा आयोग की स्थापना हुई।



  • 1953 में UGC की स्थापना हुई




  • 1956 में UGC को  संसद के द्वारा  पूर्ण स्वायत्ता पद दे दिया गया ।



  • 1961 में NCERT की स्थापना की गई । पहला IIM की स्थापना अहमदाबाद और कोलकात्ता में हुआ ।




  • 1964 - 66  में डॉ डी एस कोठारी की अध्यक्षता में कोठारी आयोग की नियुक्ति हुई ।



  • 1968 में कोठारी शिक्षा आयोग की सिफारिशों पर राष्ट्रीय शिक्षा नीति NPE 1968 की अपनाई गई ।



  • 1975 में 6 वर्ष तक के बच्चों के लिए उचित विकास के लिए समेकित बाल विकास सेवा प्रारंभ की गई ।




  • 1976 में शिक्षा को राज्य सूची से समवर्ती सूची में परिवर्तित करने के लिए संविधान संशोधन किया गया ।


  • 1985 में IGNU की स्थापना की गई ।



  • 1986 में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को अपनाया गया ।


  • 1987 में AICTE संसद के एक अधिनियम द्वारा वैधानिक दर्जा दिया गया । 1945 में इसे पहली बार एक सलाहकार निकाय रूप में स्थापित किया गया ।



  • AICTE का फुलफॉर्म है  All India Council  of Technical Education .



  • 1990 में आचार्या राममूर्ति की अध्यक्षता में एक  समीक्षा समिति बनी ।


  • 1992 में आचार्या राममूर्ति समीक्षा के आधार पर राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 में संशोधन किया गया ।


  • 1993 में प्रो0 यशपाल के नेतृत्व में समीक्षा सीमित का गठन किया ।


  • 1994 में NAAC ( National assessment of accreditation council ) बनाए गए । इसका कार्य मूल्यांकन करना और ग्रेड देना उच्च शिक्षा में ।



  • 1995 में संसद के एक्ट 1993 द्वारा संविधिक निकाय के रूप में राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद ( NCTE ) की स्थापना की गई ।



  • 1995 में प्रारंभिक स्कूल में केंद्रीय सहायता प्राप्त मध्याह्न भोजन योजना शुरू की गई ।


  • 2002 में निशुल्क एवम् अनिवार्य शिक्षा को मौलिक अधिकार देने के लिए संविधान संशोधन किया गया। अनुच्छेद 45 से उठा कर 21A  में डाल दिया गया था ।


  • 2004 में आंध्रप्रदेश के श्री हरिकोता से शिक्षा को समर्पित उपग्रह EDUSAT छोड़ा गया था । इसको अभी के समय में कहते है सतीश धवन उपग्रह क्षेत्र ।


  • 2005 में संसद द्वारा राष्ट्रीय अपसंख्यक शैक्षणिक संस्थान आयोग बनाया गया और NCF- 2005  NCERT की राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा  तैयार किया गया ।


  • 2009 में शिक्षक शिक्षा की राष्ट्रीय पाठ्यचर्या ( NCFTE 2009) की  रूपरेखा बनाई गई ।


  • 2009 में निशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा RTE अधिनियम 2009 बच्चो का अधिकार - अनुच्छेद 21-A और RTE अधिनियम 1 अप्रैल 2010 को लागू हुआ ।


  • 2017 में नई शिक्षा नीति का प्रारूप बनाने के लिए कस्तूरीरंगन समिति का गठन हुआ ।


  • 2019 नई शिक्षा नीति 9 सदस्य कस्तूरीरंगन समिति द्वारा तैयार नई शिक्षा नीति के प्रारूप पर चर्चा जारी है । यह अभी लागू नहीं हुई है । इस दस्तावेज पर मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने नागरिकों और संगठनों से सुझाव मांगे है ।







निष्कर्ष :-



भारतीय शिक्षा प्रणाली प्राचीन काल से आज तक की शिक्षा प्रणाली के बारे में बताया गया । भारत में शिक्षा की स्थिति कठिन परिस्थिति से गुजरी है । और आज भी शिक्षा की स्थिति बेहतर नहीं हो पाई है । आज भी ज्ञान से ज़्यादा सरकार साक्षर बनाने पर जोर देती है । 


सरकार की कोशिश है के बस साक्षरता मिल जाए । बच्चे साक्षर होजाएं।
प्राचीन काल में शिक्षा ज्ञान का स्रोत था । शिक्षा प्राप्त करने का मतलब था के चरित्र निर्माण था । सच्चाई के साथ सफल ज़िन्दगी गुजरने को शिक्षा समझा जाता था । 


आज की शिक्षा का मतलब है सिर्फ पढ़ना लिखा आ गया बस साक्षर हो गए । 


शिक्षित व्यक्ति वह है जिनके के पास सही शिक्षा है आज भी शिक्षा प्राप्त करने के बाद चरित्र का निर्माण को ही माना जाता है ।
आज हर एक किलो मीटर पर प्राथमिक विद्यालय है और हर तीन किलमीटर पर मध्य विद्यालय है । बच्चे पढ़ रहे है लेकिन बच्चों का चरित्र निर्माण नहीं हो पा रहा है ।